मुख पृष्ठ
श्रीमद् भगवद् गीता
श्री राम चरित मानस
आध्यात्मिक चिंतन
बृज चित्र-दर्शन
भजन-संगीत
प्रार्थना
समर्पण
आध्यात्मिक विचार - 29-01-2014
स्वयं के वास्तविक रूप के ज्ञान के बिना संसार के वास्तविक रूप का ज्ञान संभव नहीं है, इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को संसार को जानने की इच्छा का त्याग करके स्वयं को जानने का प्रयत्न करना चाहिये।
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ