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आध्यात्मिक विचार - 20-12-2014
सच्चे मन से की जाने वाली आत्म-ग्लानि उस अग्नि के समान होती है जिसमें बड़े से बड़े पाप भी जलकर भस्म हो जाते हैं।
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