आध्यात्मिक विचार - 22/12/2010


शास्त्र स्वयं भगवान की आज्ञा है, भगवान की आज्ञा का उलंघन करके संसार में कोई भी मनुष्य सुख-शान्ति से नहीं रह सकता है।

शास्त्रों में से हर व्यक्ति को अपनी स्थिति के अनुसार भगवान की आज्ञा को जानने का प्रयत्न करना चाहिये, शास्त्र प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग आज्ञा देते हैं क्योंकि हर व्यक्ति का कर्तव्य कर्म अलग-अलग होता है।

प्रत्येक व्यक्ति को वेद-शास्त्रों में केवल स्वयं के लिये दी गयी भगवान की आज्ञा को ही पढ़ना चाहिये, शास्त्रों को पढ़कर केवल अपने लिये आज्ञा को जान पाना अत्यंत दुर्लभ है, क्योंकि शास्त्रों के अधिक अध्यन से भ्रम ही उत्पन्न होता है, इसलिये किसी अच्छे गुरु की शरण ग्रहण करनी चाहिये।