आध्यात्मिक विचार - 23/12/2010

मानव जीवन का अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष मनुष्य शरीर में रहते हुए ही प्राप्त होता है।

जो व्यक्ति शरीर में रहते हुए स्वयं को सभी कर्म बन्धन से मुक्त अनुभव कर लेता है, और जीवन की अन्तिम श्वाँस तक मुक्त भाव में स्थिर रहता है, ऎसा व्यक्ति स्थिर प्रज्ञ कहलाता है।

ऎसी स्थिर प्रज्ञ जीवात्मा मोक्ष को प्राप्त करके संसार में फ़िर कभी लौटकर नही आती है, वह जीवात्मा भगवान के परम-धाम में नित्य शाश्वत जीवन को प्राप्त होती है।