आध्यात्मिक विचार - 8/12/2010

"माया" (सभी सांसारिक वस्तु) का पीछा करना छोडो "माया-पति" (माया के स्वामी) का पीछा करोगे माया तो पीछे-पीछे स्वयं दौडी आयेगी।
संसार में किसी भी व्यक्ति का कुछ नही है, लेकिन जब व्यक्ति उसे अपना समझने लगता हैं तो वह "माया" के आधीन हो जाता है तब व्यक्ति माया के पीछे-पीछे भागता रहता है, परन्तु माया कभी भी हाथ नही आती है।
जब व्यक्ति का विवेक जाग जाता है तो वह सब कुछ भगवान का समझकर माया-पति के पीछे भागने लगता है तब वह माया-पति के आधीन हो जाता है तब माया उसके पीछे-पीछे भागती है, क्योंकि माया पतिव्रता है, पतिव्रता उसी को प्रेम करती है जो उसके पति को प्रेम करता है।