आध्यात्मिक विचार - 9/12/2010

कोई भी व्यक्ति एक क्षण भी बिना कर्म किये नही रहता है, और हर क्षण कर्मफल भी बनता है, इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को केवल स्वयं के कर्म को ही देखना चाहिये।

जब व्यक्ति दूसरों के कर्मों को देखता है तो उस समय वह अपने कर्म से विमुख हो जाता है, जो व्यक्ति अपने कर्म से विमुख हो जाता है तो वह व्यक्ति पाप कर्म से नहीं बच सकता है।