आध्यात्मिक विचार - 13/12/2010


किसी भी बात का बुरा लगना या क्रोध आने से अहंकार की पहचान होती है।
हर व्यक्ति अपने अंहकार को स्वयं पहचान सकता है, जब भी किसी के भी द्वारा कही गयी बात बुरी लगती है या क्रोध आता है, चाहे वह क्रोध बाहर प्रकट न होकर केवल स्वयं के अन्दर भी रहता है तब तक अहंकार रहता ही है।
जब तक संसार में किसी भी बात का बुरा लगना समाप्त हो जाये तभी समझना चाहिये कि अब अहंकार समाप्त मिट गया है, यह कहना कि मुझे कोई अहंकार नहीं है, यह भी अहंकार ही होता है।