आध्यात्मिक विचार - 15-01-2011

मन में सद-विचार होते हैं तो हमेशा सत्कर्म ही होते हैं और मन में दुर्विचार होंगे तो हमेशा दुष्कर्म ही होता है।

दूसरों के सुख की इच्छा करने से मन में हमेशा सद-विचार उत्पन्न होते है और केवल स्वयं के सुख की इच्छा करने मन में दुर्विचार ही उत्पन्न होते हैं।