आध्यात्मिक विचार - 23-01-2011


जीवात्मा दो तत्वों जीव-तत्व एवं आत्म-तत्व से मिलकर बना है, जीवात्मा दो होकर भी एक ही होते हैं।

क्योंकि जीव ज़ड़ शक्ति है और आत्मा चेतन शक्ति है, इसलिये जीव शक्ति बिना चेतन शक्ति के क्रियाशील नहीं हो सकती है, इसलिये चेतन तत्व भगवान को कभी भूलना नहीं चाहिये।

जो व्यक्ति इन दोनों तत्वों को अलग-अलग अनुभव कर लेता है वह हंस अवस्था को प्राप्त हो जाता है और जो व्यक्ति इन दोनों तत्वों को भाव द्वारा अलग-अलग अनुभव करके जीव-तत्व को आत्म-तत्व में विलीन कर देता है वह परमहंस अवस्था को प्राप्त कर परम-पद को प्राप्त कर जाता है।