आध्यात्मिक विचार - 25-01-2011

व्यक्ति माया के प्रभाव से तब तक अज्ञानी ही बना रहता है जब तक परमात्मा रूपी सद्‍गुरु प्राप्त नही हो जाते हैं।

जब व्यक्ति परमात्मा स्वरूप सदगुरु की पूर्ण रूप से शरण नही हो जाता है, तब भगवान स्वयं शरीर रूपी रथ के सारथी बनकर स्वयं मार्ग दर्शन करने लगते हैं।

तब व्यक्ति सद्‍गुरु की कृपा से भगवान की शरणागति प्राप्त करके ब्रह्म-ज्ञान में स्थित होकर सभी सांसारिक कर्मों से मुक्त होकर परमगति को प्राप्त होता है।