आध्यात्मिक विचार - 08-02-2011

भगवान के भक्त का व्यवहार सदैव सभी के प्रति मन से मधुर, वचन से मधुर और शरीर से मधुर ही होता है।

जिस व्यक्ति के मन में भगवान से निरन्तर प्रीत बनी रहती है उस व्यक्ति के मुख से निकला हुआ प्रत्येक शब्द हीरे-मोती के समान होता है, और उसके शरीर से होने वाले कार्य सभी के लिये कल्याणकारी होता है।