आध्यात्मिक विचार - 16-02-2011

यदि व्यक्ति का मन सभी के कल्याण के लिये द्रवित होकर आँखो से अश्रु रूप में बहने लगता है और हृदय परमार्थ की भावना से ओत-प्रोत हो जाता है, तब उस व्यक्ति का तन भगवान एक पावन मंदिर बन जाता है।

ऎसे व्यक्ति के तन रूपी मन्दिर में ही आनन्द स्वरूप भगवान प्रकट होते हैं।