आध्यात्मिक विचार - 15-02-2011


एक सच्चे गृहस्थ को आत्म साक्षात्कार करने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

यदि कोई सच्चा गृहस्थ है तो उसका घर स्वर्ग बन जाता है, क्योंकि सच्चे गृहस्थ में आत्म-नियंत्रण, आत्म-समपर्ण सेवा-भाव और त्याग की भावना होती है।

एक साधु बनने की अपेक्षा, एक सच्चा गृहस्थ बनना अधिक श्रेष्ठ होता है।