आध्यात्मिक विचार - 20-02-2011


प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं के प्रति ईमानदार रहना चाहिये, स्वयं के प्रति ईमानदारी का अर्थ है, जहाँ व्यक्ति का तन हो वहीं मन भी होना चाहिये।

जिस व्यक्ति के तन और मन एक ही दिशा में कार्य करते हैं, वह व्यक्ति स्वयं के प्रति ईमानदार होता है, और जिस व्यक्ति शरीर तो कहीं है और मन कहीं ओर रहता है ऎसा व्यक्ति स्वयं के प्रति बेईमानी करता रहता है।

जो व्यक्ति स्वयं के प्रति ईमानदारी नहीं बरतता है, वह व्यक्ति इस संसार में स्वयं के द्वारा ही ठगा जाता है, और संसार को दोषी मानकर स्वतः ही अपने पतन के मार्ग की ओर चला जाता है।