प्रत्येक मनुष्य को अच्छा शिष्य बनने की कोशिश करनी चाहिये, अच्छा गुरु वही होता जो एक अच्छा शिष्य होता है।
कभी भी गुरु बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिये, जो एक अच्छा शिष्य बनता है वह एक दिन अच्छा गुरु स्वत: ही बन जाता है।
जब व्यक्ति गुरु बनने की कोशिश करता है तो उस व्यक्ति को त्रिशंकु की तरह न तो इस लोक में और न ही परलोक में शान्ति प्राप्त होती है।