जिस प्रकार जो वस्तु जहाँ पर होती है वहीं ढूंढने पर मिलती है उसी प्रकार सुख और शान्ति जहाँ पर है वहीं तलाश करनी चाहिये।
सुख और शान्ति प्रत्येक व्यक्ति के स्वयं के अन्दर स्थित रहती है, लेकिन हर व्यक्ति अपना सारा जीवन सुख और शान्ति की तलाश में संसार में इधर-उधर भटकता रहता है।
संसार में दुख और अशान्ति के अलावा उसके हाथ अन्य कुछ नहीं आता है, जो दुख और अशान्ति को सहन कर लेता है वह उसे सुख और शान्ति समझ लेता है।