आध्यात्मिक विचार - 29-03-2011

मनुष्य द्वारा केवल नि:स्वार्थ भाव से जो भी पुरुषार्थ किये जाते हैं, उन सभी पुरुषार्थों के द्वारा भगवान की सच्ची भक्ति ही होती हैं।

जब व्यक्ति धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का बिना फल की इच्छा से क्रमशः पालन करता है, तो वह व्यक्ति शीघ्र ही भगवान की कृपा की पात्रता हासिल कर लेता है।