आध्यात्मिक विचार - 28-03-2011

संसार का चिंतन चिंताग्रस्त करता है और भगवान का चिंतन सभी चिंताओं से मुक्त करता है।

संसार में हर व्यक्ति चिंतन करता है, चिंतन किये बिना कोई व्यक्ति एक क्षण भी नहीं रह सकता है, संसार के चिंतन से बंधनकारी फल उत्पन्न होता है और भगवान चिंतन से मुक्तिकारी फल उत्पन्न होता है।

जब व्यक्ति भगवान का चिंतन करता है तो संसार का चिंतन नहीं होता है और जब व्यक्ति भगवान का चिंतन नहीं करता है तो संसार का चिंतन स्वतः ही होने लगता है।