जब व्यक्ति शरीर से अपनी पहचान भूलने का अभ्यास करता हैं तब वह व्यक्ति आध्यात्मिक पथ पर आगे चलने लगता है, तभी व्यक्ति का अज्ञान का आवरण स्वतः ही हटने लगता है।
जब व्यक्ति के अज्ञान का आवरण हट जाता है तो व्यक्ति का ज्ञान सूर्य के समान प्रकाशित होने लगता है, अज्ञान का आवरण हटना ही मुक्ति है।