आध्यात्मिक विचार - 22-04-2011

संसार में जो कुछ भी अभी तक हुआ है, जो कुछ भी हो रहा है और जो कुछ भी आगे होगा, वह सब भगवान के पूर्व निर्धरित संकल्प से ही होता है।

व्यक्ति जिस भाव से देखता है, सुनता है, स्पर्श करता है, उसी भाव के अनुसार व्यक्ति का वर्तमान में कर्म होता है।

व्यक्ति जैसा कर्म करता है वैसा ही व्यक्ति का प्रारब्ध बनता है और वैसा ही अगले जन्म में पद की प्राप्ति होती है।