आध्यात्मिक विचार - 22-02-2014


कर्म केवल वही होता है जो व्यक्ति को कर्म-बन्धन से मुक्त करता है।

परिणाम की इच्छा के बिना किये जाने वाले कर्मों से ही कर्म-बन्धन से मुक्ति संभव होती है।

परिणाम की कामना से किये जाने वाले पुण्य कर्मों से तो कर्म-बन्धन की ही उत्पत्ति होती हैं।