मुख पृष्ठ
श्रीमद् भगवद् गीता
श्री राम चरित मानस
आध्यात्मिक चिंतन
बृज चित्र-दर्शन
भजन-संगीत
प्रार्थना
समर्पण
आज का विचार
श्री मद भगवत गीता के अनुसार अपने कर्तव्य को जानकर निष्काम भाव से अपने कर्तव्य कर्मो को करना ही भगवान की भक्ति करना होता है, अन्य किसी कर्म को भगवान की भक्ति कहना स्वयं को धोखा देना ही होता है।
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ