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अपने कर्तव्य कर्म पर दृष्टि रखने वाला ही जीवन में सुख एवं शान्ति को प्राप्त कर पाता है, दूसरों के कर्तव्य कर्म पर दृष्टि रखने वाला कभी सुख एवं शान्ति कभी प्राप्त नहीं कर पाता है।
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