आध्यात्मिक विचार - 01-03-2011


जो जगत से प्रेम करते हैं वह जन्म-मरण के भंवर में गोते खाते रहते हैं और जो केवल जगदीश से ही प्रेम करते हैं वह जन्म-मरण के चक्र से शीघ्र छूटकर परम-पद को स्वतः ही प्राप्त कर जाते हैं।