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आध्यात्मिक विचार - 05-04-2011
मन की केवल दो ही अवस्थाऎं होती है, एक समय में मन केवल एक अवस्था में ही रह सकता है।
मन की पहली अवस्था ईश्वर में स्थिति होती है और दूसरी अवस्था संसार में स्थिति होती है।
व्यक्ति को अपने मन को पहली अवस्था में यानि ईश्वर में स्थित करने का प्रयास करना चाहिये, नहीं तो मन दूसरी अवस्था यानि संसार में स्वतः ही चला जाता है।
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