आध्यात्मिक विचार - 27-04-2011

जब तक व्यक्ति माया को पकड़ने के लिये माया के पीछे दौड़ता रहता है तब तक माया आगे-आगे चलती रहती है, वह पकड़ में नहीं आती है।

जब व्यक्ति माया का पीछा छोड़कर माया के पति के पीछे दौड़ने लगता है तब माया उस व्यक्ति के पीछे-पीछे चलने लगती है।

माया तो एक पतिव्रता स्त्री है, वह उसी को प्रेम करती है जो उसके पति को प्रेम करता है, तब वह योगमाया का रूप धारण करके अपने पति से योग (मिलन) करा देती है।